प्रार्थना- हमें दो ज्ञान प्रभु इतना…
हमें दो ज्ञान प्रभु इतना बुराई भूल जाएँ हम।
दिलों में प्रेम हो सबके लड़ाई भूल जाए हम।।
सितारे चाँद सूरज सब लुटाते प्यार हैं जग में।
नदी सागर खिले गुलशन सिखाते प्यार हैं जग में।
जला दिल हो किसी का वो कमाई भूल जाएँ हम।
दिलों में प्रेम हो सबके लड़ाई भूल जाएँ हम।।
मिटा दो भेद मन से रब दुआ इतनी हमारी है।
सहारा है तुम्हारा ही तुम्हारी ही ख़ुमारी है।
निखारो मन बदी से हर रसाई भूल जाएँ हम।
दिलों में प्रेम हो सबके लड़ाई भूल जाएँ हम।।
निगाहें पाक हो जाएँ मिटे हर पाप दुनिया से।
मधुर वाणी सभी की हो मिटे हर श्राप दुनिया से।
बनाओ नेक इतना तुम रुखाई भूल जाएँ हम।
दिलों में प्रेम हो सबके लड़ाई भूल जाएँ हम।।
आर.एस. ‘प्रीतम’