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10 Aug 2020 · 3 min read

प्रातः भृमण पर

आज सुबह पौ फटते डॉ संतलाल जी की आंख खुल गयी मन अधजगी नींद की तंद्रा में पुरानी प्रातः कालीन भ्रमण की यादों में विचरण करने लगा और एक वीडियो फ़िल्म सी मन मस्तिष्क पर चलने लगी कि किस प्रकार कोरोना काल से पहले उस मौसम में सुबह-सुबह बाहर दिन और रात की गर्मी और उमस से दूर किसी विशाल उद्यान में सुगन्धित , शीतल मंद पवन झोंकों के बीच में सुबह-सुबह घूमने जाने पर पथ के दोनों ओर कतार में लगे विशाल अमलतास और गुलमोहर के पेड़ों की पीले और लाल रंग के फूलों से लदी उनकी डालियां बीच-बीच में आपस में आलिंगन बंद हो सड़क को छांव देती हुई तथा उनसे झरती सूरज की किरणें और ऊपर नीला आकाश और नीचे कहीं कहीं तो इन पेड़ों के पीले और लाल फूल बड़ी संख्या में नीचे झड़ कर उन पेड़ों के नीचे आस पास की भूमि का रंग लाल और पीला कर देते हों गे । आसपास पुरुषों की टोलियां कहीं गोला बनाकर बैठे-बैठे योग करते हुए तो कहीं पैदल चलते हुए समसामयिक राजनीति पर जोर जोर से बहस करते हुए और तो कहीं महिलाओं की टोली इस बात पर चर्चा करते हुए कि कैसे वजन घटाएं क्या पकाएं क्या खाएं या फिर जो संगिनी आज भ्रमण पर टोली से बिछड़ गई है उसकी जमकर बुराई पर चर्चा करती हुई विचरण करती रहती थीं। घरों में बंद कोरोना काल में वे सब इस समय किन कार्यों में लिप्त होंगे उनका मन यह सोच कर भ्रमित था।
कहावत है कि जब एक महिला प्रातः भ्रमण पर निकलती है तो वह अपने साथ 9 अन्य पुरुषों को भी प्रातः भ्रमण के लिए प्रेरित करती है । इस प्रकार संतलाल जी को पिछले कुछ दिनों से नियमित रूप से प्रातः काल भ्रमण पर निकलते देख शायद संतलाल जी की पत्नी ने इसी कहावत से प्रेरित होकर कम से कम उन 9 में से एक पुरुष की संख्या कम करने के उद्देश्य से या फिर हो सकता है बारिश वाले दिन वे सुबह घूमने नहीं जा पाते थे अतः उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए उनके लिये एक ट्रेडमिल मशीन खरीदकर भेंट कर दी कि लो आज से आप घर के लिविंग रूम में ही अपनी पैदल चलने की हसरत पूरी कर लिया करो । उन्होंने उस भेंट को सहर्ष स्वीकार कर लिया और उसे अपनी जीवन शैली में अपना लिया । पर अंदर ही अंदर उन्हें डर था कि कहीं श्रीमती जी को उनके ऊपर कोई झूंठा संदेह तो नहीं हो गया था।
वे अपने मरीजों को अपने परामर्श का अंग मानकर उन्हें भी भी प्रातः भ्रमण की सलाह दिया करते थे । एक बार उनके एक मरीज ने उन्हें आकर बताया कि डॉक्टर साहब आपकी बताई हुई प्रातः भ्रमण करने की सलाह मुझे बहुत महंगी पड़ी ।
पूंछने पर उसने बताया कि कल सुबह जब वह घूमने निकला तो पिछली रात को उसने अपने कारोबार से जो पैसा इकट्ठा किए थे वह अपनी कुर्ते की जेब में रख रखे थे और सुबह घूमते समय किसी ने उससे तमंचे की नोक दिखाकर वो पैसे उससे लूट लिए । उस दिन से उसने सुबह घूमने जाना बंद कर दिया है । संतलाल जी ने उसे भी ट्रेडमिल मशीन खरीदने की सलाह दे डाली यह जानते हुए भी कि वह इस पर अमल नहीं करेगा । हां अगर उसकी पत्नी उससे कहे तो वह इससे कहीं अधिक कीमत के किसी गहने पर यही पैसा निसंकोच खर्च कर देगा पर अपने स्वास्थ्य के हित के लिए किसी ट्रेडमिल मशीन जैसे साधन पर खर्च करना उसके विवेक में व्यर्थ था । यह एक आम नागरिक की मानसिकता है कि हम स्वास्थ्य संसाधनों में खर्च करना फिजूलखर्ची समझते हैं ।
एक बार संतलाल जी के यहां कोई करीबी ठहरे हुए थे उन्होंने सुबह उनको ट्रेडमिल पर चलते देख उनके पास से निकल गए । हर व्यक्ति किसी परिदृश्य को अपने परिपेक्ष में देखता है । नाश्ते की टेबल पर वे लोग फिर मिले तब उन्होंने कुछ दूरी पर रखी हुई ट्रेडमिल को इशारा करते हुए यह कहकर रोमांच से उनके रोंगटे खड़े कर दिए कि
‘ यह मशीन तो बहुत अच्छी है आप घर में ही चल लेते हैं और इससे आपके अपहरण का भी भय नहीं रहता !’

Language: Hindi
Tag: लेख
5 Likes · 487 Views
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