प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं
प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हो,
शौक से करो
धूमधाम से करो
यह तो खुशी की बात है
कि एक मूरत मैं जान आएगी
सवाल आपसे होगा
फिर क्या मूरत बोल पाएगी ।
या सिर्फ़ एक वर्ग को
उसकी पीढ़ियों के लिए
व्यवसाय का माध्यम बन जायेगी ।
जिसकी आड़ में वो
राष्ट्र के जनमानस को
करते आए हैं परेशान
कहीं दंगे तो कही फसाद
कहीं सांप्रदायिक सौहार्द
सामाजिक एकता अखंडता
आपसी भाईचारा और बंधुत्व
प्रशासनिक व्यवस्था
और न्याय व्यवस्था
को बिगाड़ते रहे हैं ।
प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हो
शौक से करो
धूमधाम से करो
अगर प्राण प्रतिष्ठा से
मिलता है सामाजिक न्याय
देश के वंचित, आदिवासी,
पिछड़े और अल्पसंख्यकों को
रोजगार बेरोजगार युवाओं को
शिक्षा और स्वास्थ्य लाभ
और सुरक्षा मातृ शक्ति को ।
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आर एस आघात