प्राण प्रतिष्ठा राम की
अवध संग सज रहा हैं देश ।
राममय हो रहा परिवेश ।।1।।
रामराज्य का देता हैं संदेश ।
भगवामय हो रहा हैं वेश ।।2।।
राम आएंगे अपने ही प्रदेश ।
नहीं था कभी किसी से द्वेष ।।3।।
मिटाते वो तो सारे अंदेश ।
करे जो नही कभी भी क्लेश ।।4।।
सजा लो घर-आंगन और वेश ।
दिवाली मनेगी माह पौष मे देख ।।5।।
अयोध्या सजी दुल्हन के भेष ।
आ रहे हैं रघुकुल वीर श्रेष्ठ ।।6।।
हर्षित हैं नर, नारी और शेष ।
आ रहे अवधपुरी के नरेश ।।7।।
संघ संग मस्त हुआ हैं देश ।
अक्षत का वितरण हैं विशेष ।।8।।
उत्साह भारतवर्ष का देख ।
होगा रामलला अभिषेक ।।9।।
प्रतिक्षा पाँच सदी की देख ।
बलिदान पाँच लाख हैं देख ।।10।।
पीढ़ियां बीती कितनी देख ।
इंतजार में गए हैं कितने देख ।।11।।
प्राणनाथ वो भारत के देख ।
जन्मभूमि में प्राण प्रतिष्ठा देख ।।12।।
राम द्रोह के कुछ पापी है शेष ।
राम भक्तो को दिया कष्ट विशेष ।।13।।
राम बिन नही पड़ेगा चैन ।
करे जो सबको ही बेचैन ।।14।।
करे जो नित नये ही क्लेश ।
कालनेमि के वो तो हैं अवशेष ।।15।।
राम से करे सदा ही द्वेष ।
राम आयेंगे अपने ही देश ।।16।।
ललित की सुन्दर रचना देख ।
सर पे आँचल राम प्रभु का देख ।।17।।
ममतामई हैं रामलला को देख ।
ललकार का प्रेम भाव तू देख ।।18।।
– ललकार भारद्वाज