प्राणदाता
मेरा घर
मेरा कमरा
कमरे का दरवाजा,
खिड़की और दीवार
छत तक पहुंचाती सीढ़ी
पिछवाड़े में आंगन
आगे पीछे बरामदे
घर के रास्ते और
गली
बगीचे में खिलती
मेरी ही तरह कभी
मुरझाई तो कभी
मुस्कुराती सी
एक कली
मेरा बचपन बीता
इन्हीं के साथ
और न जाने इस उम्र के
कितने ही अनगिनित पड़ाव
यह कोई गुनहगार नहीं
मेरे प्राणदाता हैं
यह घर मेरा मंदिर है
मेरी दुनिया है
इस घर की चारदीवारी में
मैं बंद हूं तो क्या
यह सारे संसार की खुशियों को
हर बीते पल की
खुशबू को
एक तितली सा पकड़कर
मेरे मन के द्वार तक ले ही आता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001