प्राकट्य कृष्ण का हो जाए
आत्म संयम आ जाए हृदय में
मन बुद्धि चित्त ईश्वर मय हो जाए
मन की अंधियारी गहन गुफा में
प्राकट्य कृष्ण का हो जाए
आनंद स्वरूप चैतन्य प्रभु का
हृदय में दर्शन हो जाए
ज्यों सूर्य में वास अग्नि का
चंद्र में अमृत बसता है
आत्मयोग से बालकृष्ण सी
सारी सृष्टि आनंदित हो जाए
शुद्ध सभी आचार विचार
जीवन में संयम आ जाए
छा जाए व्यापक ब्रह्म विचार
निश्चल प्रेम गोपी सा हो जाए
सुख शांति छा जाए धरा पर
प्रकाश कृष्ण का हो जाए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी