Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Dec 2019 · 1 min read

प्रहार

बनों
प्रचंड
जीवन में
लो हर
चुनौतियों से
लोहा
सफलताएं
चूमेंगी कदम
अनेक

रखो
रफ्तार तेज
जीवन में
तभी जीत
पाओगे
प्रतिस्पर्धा के
इस दौर में
प्रखर बनो
प्रचंड बनो
करो वार तेज
अनेक

समझो मत
कमजोर
अपने को
संघर्ष ही
जीवन है
लेना है
संकल्प यह
सलफता
पायेंगे हम
अनेक

देख लो
इतिहास
जीता वही
युद्ध में
थे जिसके
प्रहार
अनेक

रखो मानसिकता
खुली हमेशा
सकारात्मक
हो विचार
नहीं है
बाधा कोई
जीवन में
करोगे फतह
शिखर
अनेक

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
439 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आँखें क्या कुछ नहीं कहती है,
आँखें क्या कुछ नहीं कहती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रीतम के दोहे
प्रीतम के दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
उनके आने से ही बहार आए
उनके आने से ही बहार आए
Dr fauzia Naseem shad
" तुम "
Dr. Kishan tandon kranti
नज़्म
नज़्म
Neelofar Khan
सुबह की तलब की चाय तुम हो।
सुबह की तलब की चाय तुम हो।
Rj Anand Prajapati
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
आँखे हैं दो लेकिन नज़र एक ही आता है
शेखर सिंह
अपना अपना कर्म
अपना अपना कर्म
Mangilal 713
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
यह सावन क्यों आता है
यह सावन क्यों आता है
gurudeenverma198
4674.*पूर्णिका*
4674.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
राहें खुद हमसे सवाल करती हैं,
Sunil Maheshwari
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
वज़्न - 2122 1212 22/112 अर्कान - फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन/फ़इलुन बह्र - बहर-ए-ख़फ़ीफ़ मख़बून महज़ूफ मक़तूअ काफ़िया: आ स्वर की बंदिश रदीफ़ - न हुआ
Neelam Sharma
जिसने जीवन सौगात दिये, उस प्रेमिल माता को नमन।
जिसने जीवन सौगात दिये, उस प्रेमिल माता को नमन।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
हर एक सब का हिसाब कोंन रक्खे...
कवि दीपक बवेजा
मेरे जीवन में गुरु का दर्जा ईश्वर के समान है। “गुरु बिन भव न
मेरे जीवन में गुरु का दर्जा ईश्वर के समान है। “गुरु बिन भव न
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
प्रेम
प्रेम
Pushpa Tiwari
व्योम को
व्योम को
sushil sarna
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
जीवन के अंतिम दिनों में गौतम बुद्ध
कवि रमेशराज
वो दौड़ा आया है
वो दौड़ा आया है
Sonam Puneet Dubey
म
*प्रणय*
"छोटे से गमले में हैं संभलें पौधे ll
पूर्वार्थ
I love you
I love you
Otteri Selvakumar
आवाज़
आवाज़
Dipak Kumar "Girja"
*बताओं जरा (मुक्तक)*
*बताओं जरा (मुक्तक)*
Rituraj shivem verma
दीप की अभिलाषा।
दीप की अभिलाषा।
Kuldeep mishra (KD)
হরির গান
হরির গান
Arghyadeep Chakraborty
हिलोरे लेता है
हिलोरे लेता है
हिमांशु Kulshrestha
Loading...