प्रसव की प्रतीक्षा
वो
ऐसी चुप्पी :
जो समेटे हो असंख्य ध्वनियांँ
ऐसी शांति :
जो सुनती हो भयंकर युद्धों के कोलाहल
ऐसी नग्नता :
जो पवित्रता को रखती हो उरोजों पर
ऐसी देह :
जिसे प्रिय हों आभूषण
घावों के रूप में
ऐसी विवशता :
जो साहस को कोख में सजाए
बैठी हो प्रसव की प्रतीक्षा में
उसी का मैं हूंँ
उसी से मैं हूंँ !
-आकाश अगम