प्रश्न मुझसे मत करो तुम
कि मेरी मर्यादा क्या है
कहां तक है अधिकार मेरा
प्रेम मेरा सिमट गया है
या घाटा है विस्तार तेरा
हृदय एक सुना जंगल है अब
जहां कभी बोलती थी मौन तेरी
समा जाती थी पूरी दुनिया
कितनी विशाल थी तेरी मेरी हथेली
जो अनंत खालीपन है अब
चाहे तो अब भी भरो तुम
प्रश्न मुझसे मत करो तुम