प्रश्नोत्तरी
तुम्हारे साथ
ढाई दशकों से ज्यादा
का सफर यूँ तो अच्छा गुज़रा है
बस तुम्हारी आकस्मिक परीक्षायें लेना-
कि बताओ तो मैंने उस वक़्त
कौन सी साड़ी पहनी थी
या गले में कौन सी चैन थी
या हमारी सातवीं सालगिरह
मैंने तुम्हें क्या दिया था?
से मैं आशंकित रहता हूँ
तमाम सतर्कता व मेहनत के बाद
मुझे कभी भी अच्छे अंक प्राप्त नही हुऐ।
इस पाठ्यक्रम मे हर साल
एक नया अध्याय जुड़ता जाता है।
और पूछे गए सारे प्रश्न अनिवार्य होते हैं।
कभी कभी मैंने जब ये कहकर ध्यान भटकाने की कोशिश
की
” तुम्हारे चेहरे से नज़र हटती , तो मैं कुछ और देखता”
को सुनकर
तुम खुश तो होती हो , लेकिन इससे अंको मे इजाफा नही होता।
पर तुमने हार नही मानी है और ये प्रश्नोत्तरी आज भी जारी है
तुम प्रयासरत हो,
कि कभी तो मेरा परीक्षाफल तुम्हारी आशाओं के अनुरूप होगा।
और
मैं प्रतीक्षारत हूँ, तुम मुझे अगली बार ये फिर कब कहोगी कि
“तुम्हारा मुझ पर ध्यान रहता ही कब है”