प्रभु नृसिंह जी
में कैसा अभागा भक्त हूँ, में कुछ समझ नहीं पाया
सपने में आए प्रभु नृसिंह जी, में पहचान नही पाया
श्री नृसिंह भगवान् बोले, मेरे बेटे तुम डरना मत भाया
आज मे तुझसे मिलने, तेरे सपने में खुद चला आया
भगवान् का क्या रूप था, मैं वह सपना सबको सुनाता हूँ
सुबह – सुबह के मेरे सपने आये, प्रभु के दर्शन बतलाता हूँ
अस्त्र – सस्त्र नहीं हाथ मे, सिंह मुख से सुना शास्त्र बतलाता हूँ
मेरे प्रभु श्री नृसिंह जी की, कहीं हर बात मे सब को सुनाता हूँ
कलयुग में हिरण्यकश्यप सा दैत्य, अब मानव के मन में रहता है
सुबह – शाम, रात – दिन, घर के अन्दर, वह बाहर बढ़ता रहता है
धरती – आकाश, पशु – पक्षी से, अस्त्र शस्त्र से भी नही मरता है
कलयुग में अभिमानी ईर्ष्यालु, इस राक्षस का नाम घमंड होता हैं
श्री नृसिंह चतुर्दशी पर, भक्तों को भगत प्रह्लाद बनना ही होगा
अभिमानी ईर्ष्यालु राक्षस का वध, अपने मनमे प्रेम से करना होगा
बुराई पर अच्छाई की जीत का, प्रतीक श्री नृसिंह को मानना होगा
श्री नृसिंह जी का जयकारा, सभी मिलकर एक साथ करना होगा
🙏🙏🙏 ” “जय हो श्री नृसिंह भगवान् की ” “🙏🙏🙏
अनिल चौबिसा
9829246588