प्रभु की महिमा
प्रभु की महिमा
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प्रभु वर मेरे सबको तुम देना अनंत ज्ञान
अंधकार उर से हरो, दूर करो अज्ञान।
हर मानव के हृदय से, दूर करो प्रभु बैर,
इसी से होगी धरा पर,हर मानव की खैर ।
बहुत हुआ छल कपट, और भ्रष्टाचार।
आज मानव ही मानव पर,कर रहा अत्याचार।।
नफरतों की आग दिलों से, प्रभु बुझा दो तुम।
हर मानव हृदय में, प्रेम की ज्योति जला दो तुम।।
धरा भी आज थर्रा ग ई ,देख जहां का वीभत्स रूप।
तुम आ जाओ प्रभु धरा पर,बन कर के सुरभूप ।।
प्रेम बयार बहा दो, प्रभु सबके हृदय में।
सागर सा प्रेम भर दो,हर मानव के
उर में।।
डूबते साहिल को, कोई पथ दिखा देना।
मांझी बनकर मेरी नैया, प्रभु पार लगा देना।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,