*प्रभु आशीष तुम्हारा 【भक्ति-गीत 】*
प्रभु आशीष तुम्हारा 【भक्ति-गीत 】
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हमें पेट-भर भोजन देते ,प्रभु आशीष तुम्हारा
(1)
रोज दोपहर रोटी-चावल-दाल मिल रही प्यारी ,
और शाम को दही पराठा आलू की है बारी
भरा टोकरा रहता है मौसम के फल से सारा
(2)
घर के भीतर प्यार बस रहा ,कपट नहीं आ पाता,
तीन-तीन पीढ़ी का है संयुक्त आपसी नाता
स्वर्ग – लोक साकार कर रहा छोटा भवन हमारा ,
हमें पेट-भर भोजन देते ,प्रभु आशीष तुम्हारा
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रचयिता: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उ.प्र.) 9997615451