प्रभुकृपा
प्रभु प्रसादी रश्मियां रवि,भर रहीं ऊर्जा प्रकाश।
दस्तकें दें हर मनुज को, तिमिर का करें निकास।।
ज्योति जगमग जग प्रकाशित, भरें संकल्प आस।
वही प्रकाशक सृष्टि का,है सृष्टिकर्ता का उजास।।
दृष्टि सम्मुख रख हरेक को,सुप्त मनुष्य को जगाते।
निष्कपट ,नि: स्वार्थी हैं जो,दिव्य ज्योति को जलाते।।
कर्म हों शुभ, धर्म संस्थापना निमित्त सबको उठाते।
हे ऐश्वर्यों के ऐश्वर्य! आपका आशीष सुजन पाते।।
अनगिनत संकल्प मेरे , अप्राप्य जितनी कामनाएं।
क्षीण जब विश्वास होते ,तब मिलती हैं जो प्रेरणाएं।।
इसीलिए हम हुए समर्पित,आप पर ही निर्भरताएं।
आप पर करके भरोसा’मीरा’ , छोड़ दी सब चिंताएं।।
मीरा परिहार 💐✍️