प्रत्यावेदन(एफ एल एन)
साढ़े नौ पर पहुँच कर, जटा निहारे राह।
गुरुजन पहुँचे देर से, लिए प्रशिक्षण चाह।।
सुबह सवेरे हम सभी, किए वंदना ईश।
हाथ जोड़ विनती किए,कृपा करो जगदीश।।
परिचय ऐसा दीजिए, हो औरों की बात।
निज को उनसे जोड़कर बयां करें जज्बात।।
परिचय पाकर नन्दन भ्राता,
जोड़ लिए हम सबसे नाता।
शुरू किए फिर शिक्षा नीती(नीति),
हुई पुरानी बातें बीती।।
नई नीति है नया तराना,
नये लोग हैं नया जमाना।
नई नई हों बातें सारी,
जो बच्चों को लगती प्यारी।
पुष्ट करें बुनियादी शिक्षा,
हर बच्चा अब पाये दीक्षा।
झिझक जरा भी ना रह जाए,
हर्षित हो विद्यालय आए।
रंजन सर की हँसी ठिठोली,
सर सिद्धार्थ की मीठी बोली।
नन्दन सर ने साथ निभाया,
समय समय पर खूब हँसाया।
तब भोजन की बारी आई,
दाल भात और पूड़ी खाई।
आलू गोभी थी रस वाली,
साग देख थी हर्षित थाली।
जाने यह क्यों छूटा भाया,
अब तक मैं भी समझ न पाया।
मिक्स्चर में जो बाँटे जाते,
नाम अकेले कहीं न पाते।
मध्य समय बस ज्यों ही बीता,
घण्टों फिर रामायण गीता।
झल्लाकर इक भ्राता डोले,
मुस्काते धीरे से बोले।
भाई अब कुछ समझ न पाएं
छोड़ हमें हम घर को जाएं।
इतना ना हमको तड़पाएं,
क्या चाहो हम कल ना आएं।
प्रथम दिवस के ज्ञान पर, गुरूवर का सम्मान।
पूर्ण किये इक रोज हम, गाकर राष्ट्र का गान।।
जटाशंकर”जटा”
(चार दिवसीय FLN प्रशिक्षण प्रत्यावेदन 01/04/2022)