प्रतीक्षा
“नींद अटकी रही दरवाज़े पर…….
झूलती रही वक्त की खुली सांकल ….”
स्वप्न का दिया,
कितनी ही रातों जला ,
बस यूँ ही……..
दस्तक के इंतज़ार में…..
© 2013 Capt. Semant Harish
“नींद अटकी रही दरवाज़े पर…….
झूलती रही वक्त की खुली सांकल ….”
स्वप्न का दिया,
कितनी ही रातों जला ,
बस यूँ ही……..
दस्तक के इंतज़ार में…..
© 2013 Capt. Semant Harish