प्रतीक्षा
गत वर्ष जो बीत गया ,
कुछ खट्टी- मीठी ,कड़़वी यादें छोड़ गया ,
कुछ रिश्ते टूटे कुछ नए नातों को जोड़ गया ,
कुछ आशाएं धूमिल हुईंं ,
कुछ अभिलाषाएं स्वप्निल हुईं,
कुछ संकल्प अधूरे रहे ,
कुछ विकल्प पूरे हुए ,
कुछ नियति की मार से घबराए ,
कुछ विश्वास डगमगाए ,
कुछ संघर्षरत हुए ,
कुछ विद्रोह स्वर मुखर हुए ,
कुछ अपेक्षा विमुख हुए ,
कुछ उपेक्षा सन्मुख हुए ,
फिर भी आत्मविश्वास से बढ़ते रहे ,
हर चुनौती को स्वीकार कर लड़ते रहे ,
अपने लक्ष्य पर कर्मनिष्ठा से केंद्रित रहे ,
सुअवसर की प्रतीक्षा में जीवन पथ पर अग्रसर रहे।