प्रतीक्षा
उसने बुलाया था मिलने को
और मैं प्रतीक्षा ही करता रहा
दोपहर को तय था समय मिलने का
और मैं उंगलियों पर घंटे गिनता रहा
वो समय देकर ना आएंगे
यकीन करना बड़ा कठिन था
वो बेवफा ना थे ना हैं ना होंगें
कसम से मैं उन्हें वफादार मानता रहा
वीर कुमार जैन
01 अगस्त 2021