प्रतीक्षा में गुजरते प्रत्येक क्षण में मर जाते हैं ना जाने क
प्रतीक्षा में गुजरते प्रत्येक क्षण में मर जाते हैं ना जाने कितने स्वप्न, कितनी आशाएं, कितनी कामनाएं और न जाने कितनी मुस्कानें….
कुछ बच जाता है तो जीवन के भ्रम में लिपटा एक मृत शरीर और एक अधमरा सा मन जीने की प्रत्येक अनिवार्यता के मध्य जीने की बाध्यता के बीच…..