प्रतियोगिता से न घबराना
प्रतियोगिता से न घबराना,
ये है एक तरह का नजराना ।
यह नजराना उसी को मिलता है,
जिसे दर्शक और श्रोता चुनता है ।।
आज मुझे, कल उसे,
परसों किसी और के नाम,
यह घोषणा होता है ।
चिंता वाली कोई बात नहीं,
बस यह एक प्रतियोगिता है ।।
इससे यह सिद्ध नहीं होता,
कि वो कर्मठ और ज्ञानी है,
और तुम केवल अज्ञानी हो ।
सफलता मिलेगी उसे भी एकदिन,
जिसके अंदर सरस्वती की वाणी हो ।।
ऐसा नहीं समझना तुम,
कि जो सफल हो गये यहाँ,
वो बन गया सिकंदर ।
और जो सफल नहीं हुआ,
वो बन गया बंदर ।।
जीवन का हर एक लम्हा,
अब प्रतियोगिता बन चुकी है ।
जिसका मन से इसमें हार हुआ,
समय का उसी पे प्रहार हुआ ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 25/01/2021
समय – 10 : 47 ( सुबह )
संपर्क – 9065388391