प्रक्षालन
उमड़ घुमड़ कर बदरा छाये धरती के प्रक्षालन को
पानी का सैलाब बहा है धरती के प्रक्षालन को
अम्बर से गिरती बूंदों ने माँ का आँचल भिगो दिया
गर्मी की भीषण ज्वाला को छू कर के शीतल किया
आओ सब मिलकर आज गीत सावन के गाते हैं
ऐसे सुहावने पल तो केवल सावन में ही आते हैं
ये पल फिर ना आएंगे इनको ना यूँ ही जाने दो
गर्म चाय की प्याली संग तले पकोड़े खाने दो
वीर कुमार जैन
27 जुलाई 2021