प्रकृत की हर कला निराली
छप्पन भोग सजा दे थाली
श्रृंगार सुशोभित करने वाली
ममता स्नेह की इनकी प्यारी
उपवन की सजा वे क्यारी
भू- गर्भ सी क्षमता वाली
उपमा सी ये शक्तिशाली
प्रकृत की हर कला निराली
कुनबा की हैं उच्च अधिकारी
गरिमा की ये करे सवारी
सरिता के जल जैसी नारी
उच्च कोटि की हैं गुणकारी
अपने कुल की रक्षाकारी
शत्रु के लिए दुर्गा काली
प्रकृत की हर कला निराली
सत्य सही हैं कई कहानी
रूपों में ये मेनका रानी
सरस्वती हैं ज्ञान की देवी
शक्ति हैं इनकी हर दैवी
हर जगहों पर इनकी बोली
फैला दूँ इनके आगे झोली
प्रकृत की हर कला निराली