Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Feb 2017 · 1 min read

प्रकृति

बादलों की गरजती ध्वनि में,बरसा की छमछम सुहानी लगती है ।
अमावस्या की काली रात में,जो जुगनू दीवानी लगती है।

माना पलक झपकते बदलते,मंजर प्रकृति के पल पल।
पूनम की रात में निकलो तो,हर राह पहचानी लगती है।

ताल में पंक की अजब,कहानी का क्या कहना दोस्तों।
आंचल में उसके पंकजो की लड़ी सुहानी लगती है।

अब डालियों से हरियाली,धीरे धीरे जुदा हो रही है।
इसलिए मौसम की बहारों में भी,कुछ बेमानी लगती है।

उदित सूर्य की लालिमा में,चिड़िया चहचहाती मधुर स्वर में।
प्रकृति के सुंदर नजारे की,वह आज भी रानी लगती है।

धिक्कार निज स्वार्थों को मानव तेरे,जो प्रकृति की गोद में खेलता प्रशांत।
समझले वक्त रहते नहीं तो,अब ए दुनिया उलझी कहानी लगती है।

प्रशांत शर्मा “सरल”
नरसिंहपुर
मोबाइल 9009594797

Language: Hindi
644 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"नवसंवत्सर सबको शुभ हो..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
कुत्ते
कुत्ते
Dr MusafiR BaithA
"अकेला"
Dr. Kishan tandon kranti
Moral of all story.
Moral of all story.
Sampada
यूं ही कुछ लिख दिया था।
यूं ही कुछ लिख दिया था।
Taj Mohammad
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
मुश्किलों से हरगिज़ ना घबराना *श
Neeraj Agarwal
पुस्तक विमर्श (समीक्षा )-
पुस्तक विमर्श (समीक्षा )- " साये में धूप "
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
बर्फ़ीली घाटियों में सिसकती हवाओं से पूछो ।
बर्फ़ीली घाटियों में सिसकती हवाओं से पूछो ।
Manisha Manjari
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
- शेखर सिंह
- शेखर सिंह
शेखर सिंह
मत बनो उल्लू
मत बनो उल्लू
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मोर
मोर
Manu Vashistha
*याद तुम्हारी*
*याद तुम्हारी*
Poonam Matia
मेहनत
मेहनत
Dr. Pradeep Kumar Sharma
👌परिभाषा👌
👌परिभाषा👌
*Author प्रणय प्रभात*
मुस्कुराना जरूरी है
मुस्कुराना जरूरी है
Mamta Rani
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ
हाँ ये सच है कि मैं उससे प्यार करता हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
हर दर्द से था वाकिफ हर रोज़ मर रहा हूं ।
Phool gufran
मुजरिम करार जब कोई क़ातिल...
मुजरिम करार जब कोई क़ातिल...
अश्क चिरैयाकोटी
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो
तन्हा हूं,मुझे तन्हा रहने दो
Ram Krishan Rastogi
सपनों के सौदागर बने लोग देश का सौदा करते हैं
सपनों के सौदागर बने लोग देश का सौदा करते हैं
प्रेमदास वसु सुरेखा
आज फिर किसी की बातों ने बहकाया है मुझे,
आज फिर किसी की बातों ने बहकाया है मुझे,
Vishal babu (vishu)
मैं हर चीज अच्छी बुरी लिख रहा हूॅं।
मैं हर चीज अच्छी बुरी लिख रहा हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
दीवारों में दीवारे न देख
दीवारों में दीवारे न देख
Dr. Sunita Singh
"सुखी हुई पत्ती"
Pushpraj Anant
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना "मुसाफिर"
Ravi Prakash
*बाल गीत (सपना)*
*बाल गीत (सपना)*
Rituraj shivem verma
3146.*पूर्णिका*
3146.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मजबूरियां थी कुछ हमारी
मजबूरियां थी कुछ हमारी
gurudeenverma198
Loading...