” प्रकृति “
” प्रकृति ”
प्रकृति ही देवता यानी भगवान है।
इसे देखें और समझें :
भ से भूमि (पृथ्वी)
ग से गगन (आकाश)
व से वायु (हवा)
आ से आग (अग्नि)
न से नीर (पानी)
यानी पंचतत्वों का मिश्रण।
यही प्रकृति है। यही भगवान है।
” प्रकृति ”
प्रकृति ही देवता यानी भगवान है।
इसे देखें और समझें :
भ से भूमि (पृथ्वी)
ग से गगन (आकाश)
व से वायु (हवा)
आ से आग (अग्नि)
न से नीर (पानी)
यानी पंचतत्वों का मिश्रण।
यही प्रकृति है। यही भगवान है।