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19 Mar 2024 · 1 min read

प्रकृति

विधाता की नियति ,प्रकृति उसकी अनुकृति है!
पर उत्पत्ति मानव की ही स्वयं एक विकृति है!!
धरा पर उसका आना औ निर्माण करना कही,
निज स्वार्थ हेतु वसुन्धरा- विनाश विसंगति है!!

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