प्रकृति
विधाता की नियति ,प्रकृति उसकी अनुकृति है!
पर उत्पत्ति मानव की ही स्वयं एक विकृति है!!
धरा पर उसका आना औ निर्माण करना कही,
निज स्वार्थ हेतु वसुन्धरा- विनाश विसंगति है!!
विधाता की नियति ,प्रकृति उसकी अनुकृति है!
पर उत्पत्ति मानव की ही स्वयं एक विकृति है!!
धरा पर उसका आना औ निर्माण करना कही,
निज स्वार्थ हेतु वसुन्धरा- विनाश विसंगति है!!