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29 Aug 2021 · 2 min read

प्रकृति से सीखो

मस्त फिजाओ में होकर मगन ।
मन मेरा ये झूमे।
धरती को बादल।
बादल को धरती ।
बरखा जल से चूमे ।
नदियों में लहराएं पानी ।
ओढे धरती चुनर रंग धानी ।
रखती न अपने पास कुछ प्रकृति।
देती है सब कुछ लूटा ।
उस-सा नही है कोई दानी ।
पेङ पर बैठा बंदर ।
गिलहरी कर रही कूद-उछल ।
तालाबो की शोभा बढाते कमल ।
तन हो चाहे जैसा भी ।
पर होना चाहिए मन निर्मल ।
सीखे हम किससे ।
सुने किसके किस्से ।
प्रकृति से बढकर ।
न कोई गुरू है ।
खत्म है कहानी ।
जहां पर गुरूर है ।
दत्तात्रेय महर्षि ।
प्रकृति से जोङी थी जिन्होने खुशी।
पर्वत -सा रहना सीखो तुम अडिग।
विचलित न होना तुम कभी ।
लाख दुःखो का आए झंझावात।
सहते रहना,चलते रहना ।
है बस खुशी उसी के बाद ।
मन हो एकाग्र द्रुत कुशाग्र ।
वक्र की भांति रखो तुम ध्यान ।
नदियो से सीखो ।
समंदर से मिलना ।
पत्थर को काटे ।
मिट्टी को छांटे ।
राह में आते जो भी कांटे ।
मंजिल मिले नदी जब तक तुम्हे ।
छोङो न तुम गिरना,उठना ।
कोयल से सीखो ।
मधुर तुम बोलना ।
रंग से चाहे तुम जैसा दिखना ।
गुण से ही हम पहचाने जाते ।
सुंदर तो अनंत है ।
प्रतिभा तुम्हारी आए सबके सामने ।
शर्म को तुम अभी से छोड़ना ।
श्वान सी नींद हो ।
दृष्टि गिद्ध हो ।
ऐसी ही तुम्हारी जिद हो ।
पेङो से सीखना।
धैर्य को रखना ।
पतझङ में पत्तियो कांग्रेस झङना।
संयम रखकर जो भी है रहते ।
निश्चित है उनमे हरे कपोलो का खिलना ।
समंदर सी हो तुममे ऊर्जा ।
ज्वार-भाटा सी हो तुम में गर्जना।
पक्षी से सीखो, सुबह में उठना ।
मस्ती में उनके जैसा चहकना ।
उङान हमेशा भरते रहो तुम ।
देखो कभी न तुम थकना ।
कछुए से सीखो कठोर तुम बनना।
धीरे-धीरे निरंतर चलते रहना ।
कौए से सीखो हर पल सतर्क रहना ।
हाथ उठाया जैसे आपने ।
तय है उनका फुर्र से उङना ।
तारो -सा चमको ।
फूलों -सा महको ।
बनकर तुम दीए का उजाला ।
तम को निगलो ।
प्रकृति ही सब कुछ सिखाती है ।
बङे तर्कमय है उसके क्रियाकलाप ।
वही वैज्ञानिक, दार्शनिक, सफल व्यक्तित्व बनाती है ।
प्रकृति ही है ईश्वर की सर्वोत्तम कृति ।
सीखो तुम चींटी से आलस्य त्यागना ।
एकजुट होकर तल्लीनता से कार्य करना ।
देखा मकङी को दीवार प्रस्तर पर चढते गिरते हर बार सिकंदर ।
अंत पा ली मकङी मुकद्दर ।
कोशिश करते रहो कामयाबी मिलने तक ।
सीखी थी सिकंदर ने मकङी के क्रियाकलाप पर गङा कर नजर ।
प्रकृति के ही है सब अंग ।
सिकंदर ने विश्वविजेता बनने की थी ठानी जंग।

☆☆ RJ Anand Prajapati ☆☆

Language: Hindi
1 Like · 485 Views
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