Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2021 · 1 min read

प्रकृति में पावस

हरियाली की चादर ओढे़ धरती मानो झूम रही थी ,
पावस की फुवारों से मानो भींग रही थी ।
नव पत्र धवल लग रहे थे ,
मानो नव – नव पल्लवित हो रहे थे ।
शीतल मंद पवन चल रही थी ,
भींनी – भींनी सी धरती महक रही थी ।
बहुरंगी पुष्प धरती का श्रृंगार कर रहे थे ,
भिन्न – भिन्न सुगंधों से धरती को महका रहे थे ।
रवि भी मेघों में लुक – छिप रहा था ,
मानों वसुधा संग लुका – छिपी खेल रहा था ।
नदियां भी पानी संग अठखेलियां कर रही थी ,
मानो नींद से जागकर अंगडा़ईयां ले रही थी ।
पर्वत श्रृंखलाऐं हरियाली की चादर ओढे़ खडी़ थी ,
निर्झरों से झरते नीर की झर – झर ध्वनि हो रही थी ।
प्रकृति की गोद विविध बेल बूटों से सज रही थी ,
हरी – भरी धरती भी अब मनोरम लग रही थी ।
कहीं पंक , कहीं पंकज ,
तो कहीं इन्द्रधनुष दिख रहे थे ।
आसमां भी कभी लालिमा ,
कभी काली घटाओं से रंग बदल रहे थे ।
तरुवर नव निर्मल पत्र लिए खिलखिला रहे थे ,
पपीहे भी स्वाति बूंद की आस में मुंह खोल रहे थे ।
खग – मृग स्वच्छंद वातावरण में विचरण कर रहे थे ,
प्रकृति के इस मनोरम दृश्य का आनंद ले रहे थे ।

—- डां. अखिलेश बघेल —-
दतिया ( म. प्र. )

Language: Hindi
1 Like · 352 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
23/11.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/11.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*** लम्हा.....!!! ***
*** लम्हा.....!!! ***
VEDANTA PATEL
मुक्तक
मुक्तक
महेश चन्द्र त्रिपाठी
"कोहरा रूपी कठिनाई"
Yogendra Chaturwedi
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Harminder Kaur
" जिन्दगी क्या है "
Pushpraj Anant
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अपनी मंजिल की तलाश में ,
अपनी मंजिल की तलाश में ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
अंसार एटवी
कर बैठे कुछ और हम
कर बैठे कुछ और हम
Basant Bhagawan Roy
मोहब्बत
मोहब्बत
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
#प्रेरक_प्रसंग
#प्रेरक_प्रसंग
*Author प्रणय प्रभात*
प्रकृति
प्रकृति
Bodhisatva kastooriya
अध्यापकों का स्थानांतरण (संस्मरण)
अध्यापकों का स्थानांतरण (संस्मरण)
Ravi Prakash
दृढ़ निश्चय
दृढ़ निश्चय
RAKESH RAKESH
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
संतोष करना ही आत्मा
संतोष करना ही आत्मा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता क्यों कहा..?
महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता क्यों कहा..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
पेड़ पौधों के बिना ताजी हवा ढूंढेंगे लोग।
पेड़ पौधों के बिना ताजी हवा ढूंढेंगे लोग।
सत्य कुमार प्रेमी
मैं फकीर ही सही हूं
मैं फकीर ही सही हूं
Umender kumar
"प्रेम"
शेखर सिंह
चली गई ‌अब ऋतु बसंती, लगी ग़ीष्म अब तपने
चली गई ‌अब ऋतु बसंती, लगी ग़ीष्म अब तपने
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
ओसमणी साहू 'ओश'
राहतों की हो गयी है मुश्किलों से दोस्ती,
राहतों की हो गयी है मुश्किलों से दोस्ती,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
Rohit yadav
💐Prodigy Love-36💐
💐Prodigy Love-36💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*बोल*
*बोल*
Dushyant Kumar
हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
हम ही हैं पहचान हमारी जाति हैं लोधी.
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
Loading...