प्रकृति – प्रेम
🌺 कविता 🌺 –
शीर्षक – ” प्रकृति-प्रेम ”
लू के गर्म थपेड़ों ने……………ख़ूब हमें सताया है ।
इस भीषण गर्मी ने हमको एक सबक सिखाया है ।।
छीना हरियाली का आँचल… धरा को वीरान किया ।
पेड़ काटे , जंगल छीने ….तरक़्क़ी इसको नाम दिया ।।
सुधार भूल को अपनी ….बरखा का स्वागत करना है ।
बंजर – सूखी भूमि को….. अब हरे पौधों से भरना है ।।
हरियाली की चुनर ओढ़े……… धरती भी मुस्कायेगी ।
बयार बहेगी शीतल शीतल……ख़ुश होगी इठलायेगी ।।
प्रण लें वन्यजीवों से हम ……….उनके घर नहीं छीनेंगे ।
देंगे नील गगन परिंदों को ……ख़ुशी ख़ुशी सब जी लेंगे ।।
© डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
©काज़ीकीक़लम
28/3/2 , अहिल्या पल्टन , इकबाल कालोनी
इंदौर ,जिला – इंदौर ( मध्यप्रदेश )