प्रकृति ने
पेट की आग के सामने विवश गरीब तबका सूचना, शिक्षा और संचार के मामले में हमेशा पीछे रहा है, मगर कोरोना नामक बीमारी ने तो अमेरिका, इंग्लैण्ड जैसे विकसित राष्ट्रों को भी आईना दिखा दिया कि उसमें भी खूबियों के साथ कई-कई खराबियाँ हैं और कई मामलों में वे भी पीछे हैं।
यूँ कहें कि प्रकृति ने दुनिया को बता दिया कि प्रगति के चाहे जितने ढिंढोरे पिटे जाएँ, मगर उनकी मर्जी के सामने सब ‘रेत के घरौंदे’ के समान हैं।… और अब भी वह अजेय है, सर्वोच्च है, सुप्रीम है।
(मेला- कहानी संग्रह में संकलित कहानी-
‘साथ-साथ’ से…।)
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
भारत भूषण सम्मान प्राप्त
हरफनमौला साहित्य लेखक।