Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Dec 2020 · 1 min read

***प्रकृति के खेल निराले***

बदला बदला मौसम बदला ,बदरा फिर से घिर आए।
रिमझिम रिमझिम बूंदे बरसी, लगता सावन ले आए ।
क्या से क्या यह कर डाले ,प्रकृति के खेल निराले ।।
समय के आगे चले न अपनी,समय बड़ा ही महाबली है।
जैसा यह करवाता जाए,वैसे ही दुनियां चली है।
वहम न मन में कोई पालें, प्रकृति के खेल निराले।।
दुख सुख देना हाथ इसी के, प्रकृति ना यारों वश में किसी के।
अंधियारा कर दे या कर दे उजाले, प्रकृति के खेल निराले।।
समय से समझौता कर लेना, दोष किसी को तुम मत देना।
अनुनय ईश्वर सबके रखवाले, प्रकृति के खेल निराले।।
राजेश व्यास अनुनय

1 Like · 4 Comments · 263 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुरली कि धुन
मुरली कि धुन
Anil chobisa
जहाँ जिंदगी को सुकून मिले
जहाँ जिंदगी को सुकून मिले
Ranjeet kumar patre
2410.पूर्णिका
2410.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सजा दे ना आंगन फूल से रे माली
सजा दे ना आंगन फूल से रे माली
Basant Bhagawan Roy
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Monday Morning!
Monday Morning!
R. H. SRIDEVI
काश तुम मेरे पास होते
काश तुम मेरे पास होते
Neeraj Mishra " नीर "
*भगत सिंह हूँ फैन  सदा तेरी शराफत का*
*भगत सिंह हूँ फैन सदा तेरी शराफत का*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"आधी है चन्द्रमा रात आधी "
Pushpraj Anant
#सृजनएजुकेशनट्रस्ट
#सृजनएजुकेशनट्रस्ट
Rashmi Ranjan
जीवन
जीवन
Monika Verma
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
ओकरा गेलाक बाद हँसैके बाहाना चलि जाइ छै
गजेन्द्र गजुर ( Gajendra Gajur )
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
जाने वाले बस कदमों के निशाँ छोड़ जाते हैं
VINOD CHAUHAN
मैं उसे अनायास याद आ जाऊंगा
मैं उसे अनायास याद आ जाऊंगा
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अनकहा दर्द (कविता)
अनकहा दर्द (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
"हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
"किस्मत की लकीरों पे यूँ भरोसा ना कर"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
अपने दिल से
अपने दिल से
Dr fauzia Naseem shad
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Akshay patel
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
यही बस चाह है छोटी, मिले दो जून की रोटी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
रुख के दुख
रुख के दुख
Santosh kumar Miri
सच्ची लगन
सच्ची लगन
Krishna Manshi
होली कान्हा संग
होली कान्हा संग
Kanchan Khanna
जो ना कहता है
जो ना कहता है
Otteri Selvakumar
I hope you find someone who never makes you question your ow
I hope you find someone who never makes you question your ow
पूर्वार्थ
■ शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कविता...
■ शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष कविता...
*प्रणय प्रभात*
बात उनकी क्या कहूँ...
बात उनकी क्या कहूँ...
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
ए दिल मत घबरा
ए दिल मत घबरा
Harminder Kaur
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
Rekha khichi
सत्य और सत्ता
सत्य और सत्ता
विजय कुमार अग्रवाल
Loading...