प्रकृति के कण कण में ईश्वर बसता है।
प्रकृति के कण कण में ईश्वर बसता है,,,
सब कुछ संसार में उसकी दृष्टि में रहता है,,,
अंजान है तू मानव जो भ्रम में रहता है,,,
ईश्वर है ईश्वर हर ह्रदय में बसता है।।
झरनों का गिरना, वर्षा का होना,,,
सूर्य का निकलना, शाम को अस्त होना,,,
ये सब संकेत देते है ईश्वर के आस्तित्व का,,,
ईश्वर ही इस प्रकृति का निर्माण करता है।।
ईश्वर का पता पूंछते हो,,,
तुम उसको लेकर असमंजस में रहते हो,,,
अंधविश्वास में जीवन जीते हो,,,
ईश्वर की भक्ति में ना लीन रहते हो।।
मानव तू पाप करके हंसता है,,,
सोचता है कोई ना तुझको देखता है,,,
ईश्वर सब देखता है, प्रत्येक चीज को समझता है,,,
दयालु है बड़ा हो इसीलिए तुम पर दया करता है।।
तेरे जीवन की डोर ईश्वर के हाथ में रहती है,,,
मानव तुझको सुधरने का वह मौका देता है,,,
मनुष्य जब तू क्रूरता,पाप की हदें पार करता है,,,
तब ईश्वर यम रूप धारण करता है।।
पवन का चलना,गर्मी का होना,,,
पौधों का बढ़ना,फूलों का खिलना,,,
सुबह,शाम का होना,,,
रात के बाद दिन का होना,,,
इन सबको ईश्वर ही करता है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ