प्रकृति का दंड
भीषण गर्मी , भीषण गर्मी
लगती है बेरहमी,
जीव जंतु और पादप
सब इससे है आतप,
और नही प्रचंड है
ये प्रकृति का दंड है
और कोई नही उपाय
बस करना है हाय।
देख देख होती है हैरानी
जब लोग चिलाते हैं पानी पानी
जल संकट जब छाया है
विश्व भर का ध्यान प्रकृति पर आया है
किस तरह विश्वतापी पर नियंत्रण पाएं
जटिल समस्या को कौन सुलझाए
प्रकृति से किए क्रूर मजाक का
दंश हम झेल रहे हैं,
निज कमी निज स्वार्थी
अभी भी हंस कउआ का खेल खेल रहे हैं