“प्यास”
“प्यास”
मजदूरों का क्या है बस
सौ-दो सौ रुपैया
बोनस न कोई सौगात,
बुझ रही है सिर्फ
नेताओं वो अफसरों
और पूंजीपतियों की प्यास।
“प्यास”
मजदूरों का क्या है बस
सौ-दो सौ रुपैया
बोनस न कोई सौगात,
बुझ रही है सिर्फ
नेताओं वो अफसरों
और पूंजीपतियों की प्यास।