प्यास नहीं बुझती मन की
प्यास नहीं बुझती मन की
कोई इच्छा करता जीवन की
कोई सोचे, खुद ही मरण की
किसी को चिंता खावे तन की
किसी को तृष्णा लागी धन की
कोई तो चाहता बात परण की
किसी की छल से नीत हरण की
करले साधना, अब भगवन की
आजाद मूर्ख राह पार तरन की
– कवि आजाद मंडौरी