सच्चा प्यार……
प्यार तो अनमोल रत्न है,
दिल के चमन का फूल है,
प्यार का जब भी खिलता कमल,
मिलता दिल को सुकून है।
एक प्यार मुझे मां का मिला,
जिनका मुझसे सपना जुड़ा,
एक प्यार पापा का मिला,
जिनसे मैंने जिंदगी जीना सिखा,
एक प्यार अपनों का मिला,
जिनके संग मेरा खुशियां चला,
इसी प्यार में संसार बंधा ,
इसी प्यार में मेरा परिवार बंधा।
बड़ा हुआ कॉलेज को निकला,
वहा भी मुझे मुझे एक प्यार मिला,
चंचल खूबसूरत क्लासमेट और आवारा यार मिला,
यारो ने मिलकर कॉलेज में,
प्यार का रूप अनोखा दिखाना चाहा,
लड़की का नाम जोड़ मेरे नाम से,
उसी प्यार में डुबोना चाहा,
कॉलेज का वो प्यार ही क्या,
वफा का चेहरा दिखा कर बेवफा बन जाती है,
मम्मी पापा का दिल से प्यार मिटा कर,
खुद को सच्चा प्यार बताती है,
मै उस प्यार को भूल कर ,
खुद का रास्ता अखतियार किया,
बेवफा प्यार को भूल कर ,
खुद के जिंदगी से प्यार किया,
जो बांध सके ना बिछरे परिवार को,
वो तो सच्चा प्यार नहीं,
जो समझ सके ना मेरे बात को वो तो सच्चा यार नहीं,
भूल जाओ उस झूठे प्यार को सच्चे प्यार से प्यार करो,
संभालो खुद के जीवन को और जिंदगी पे ऐतबार करो।
सम्राट मिथिलेश सिंह