प्यार या व्यापार…
वो…
सालों पीछा करके
मेरा,
इस नतीजे
पर पहुंँचे।
चलो,
छोड़ो यार!
अपने काम की
चीज नहीं है…
कारण है…
देखने के बदले
देखना,
पीछा करने के बदले
प्यार,
तोहफ़े के बदले
सम्मान,
बुलावे के बदले
जाना,
बात के बदले
व्यवहार,
और भी ना ज़ाने
क्या -क्या…
माफ़ कीजियेगा…
इस
प्यार या व्यापार
के बदले
समय नहीं है
मेरे पास…
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’
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