प्यार मुस्कुराता, हंसता नही है l
प्यार मुस्कुराता, हंसता नही है l
सहज सा कोई भी, रस्ता नहीं है ll
कसमकस का, जब गहरा कोहरा हो l
प्यारा, सही प्यारा दिखता नहीं है ll
जब अपना हुश्न ही, राजी नहीं हो l
आशिक, इश्क बहार लिखता नहीं है ll
जब इश्क, अडचनों का बड़ा ढेर हो l
सहजता से रिश्ता, जुड़ता नहीं है ll
जब रकीबों रकीबों का, हुजूम हो l
सही सलाहकार, सूझता नही है ll
प्यास बरकरार, उम्मीद बरकरार l
आशिक, समझता व सुलझता नही है ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न