प्यार बहन का
ईटों से
सजा है
घर उसका
उनसे
कर रही है
रोशन
अपना घर
एक रोशनी बेटी
शिकन नही है
चेहरे पर
फैला रही है
खुशियाँ
चहुंओर
सोने के लिए
दी है उसको
महफ़ूज जगह
रह जाएगी
भूखी रोशनी
पर नही रहेगा
भाई भूखा
दूध पिलाएगी
लोरी सुनाएगी
माँ के आने तक
होने नहीं देगी
तकलीफ कोई उसे
ये है प्यार
ये है त्याग
एक बहन का
अपने भाई
के लिए
है बन ,
रक्षा कवच
वह
अपने भाई की
करती देखभाल
है नमन
भारत की
इन बहनों को
निस्वार्थ
करती हैं सेवा
अपने भाई की
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल