#दोहे – नगपति पर आधारित
नगपति भारत देश का , पर्वत रक्षक एक।
बन प्रहरी रक्षा करे , रिपु दे घुटने टेक।।
भारत की उत्तर दिशा , नगपति का है स्थान।
मुकुट सुशोभित बन सजा , रखे सलामत मान।।
अद्भुत है सौंदर्य में , पहरेदार समर्थ।
नगपति भारत शान बन , देता सुंदर अर्थ।।
बर्फ़ ढ़की हैं चोटियाँ , हरे-भरे वन शान।
जड़ी-बूटियों की खान ले , नगपति बना महान।।
निर्मल झरने फूटते , देख दृश्य मन शांत।
नदियाँ नरपति से बहें , होकर पावन कांत।।
प्रकृति नित्य शृंगार कर , क्षण-क्षण लगे नवीन।
नरपति औषधियाँ लिए , जिनके रोग अधीन।।
सूर्य-रश्मियाँ गिर करें , नदजल हीरक हार।
मनमोहक गिरिराज ये , शोभा लिए अपार।।
नगपति-हिमालय
#आर.एस.’प्रीतम’