प्यार नही होगा
अब दिले खजाने का हकदार नही होगा
हर बार किसी से भी यू प्यार नही होगा
घर से तो है निकले पर रास्ता तो वही होगा
चाहने से किसी पर अब अधिकार नही होगा
पत्थर हो गया है दिल जुल्मों से ये गुजर के
कर दे जो छली कोई हथियार नही होगा
खा प्यार मे धोखा सिखा हमने यही है बस
साहिल गमो का है मझधार नही होगा
अत्याचार की भी एक हद होनी चाहिए
बहुत हो गया बस अब स्वीकार नही होगा