प्यार चाहिए फार्मल वाला
मुझे उस से इश्क हुआ था एकदम रियल वाला
मेरी आंखों में वफ़ा भी था ओरिजिनल वाला
मैं उसके मोहब्बत में डूब ही जाता यारों लेकिन
उसे तो बस प्यार चाहिए था केवल नार्मल वाला
मैं उसकी आंखों को अपनी दुनिया समझता था
और वो मुझे इस दुनिया में आंखों वाला समझती थी
मैं उसको ही अपना सबसे बड़ा खुदा मानता था
और वो मुझे उस खुदा का एक बंदा मानती थी
मैं उसे सारी दुनिया में एक अपना जानता था
और वो मुझे सिर्फ आदित्य के नाम से जानती थी
मैं उसे हमेशा प्यार भरी निगाहों से देखता था
और वो मुझे शराफत की निगाहों से देखती थी
मैं दूर हो गया उसकी अदा देख के फार्मल वाला
मेरे मोहब्बत का पोस्टमार्टम हो गया सर्जिकल वाला
मैं उसकी बातों को जेहन में दिन-रात ही सोचता था
और वो मुझे बिना सोचे एक पागल ही सोचती थी
मैं उसके दिल के छुपे हुए अरमानों से बोलता था
और वो मेरे अरमानों के लिए हर बार नहीं बोलती थी
मैं अपने दिल के राज उसके सामने खोलता था
और वो मेरे रिश्तों के बाल की खाल को खोलती थी
मैं उसे हर बात अपने दिल की यहां बताता था
और वो मेरे दिल को आवारगी का सबब बताती थी
मेरे लव का सपना ही रह गया यहां ऐक्सिडेंटल वाला
ऐसे हालात में मैं बन गया साला वही मेंटल वाला
रियल-सच्चा
ओरिजनल-वास्तविक
नार्मल-सामान्य
फार्मल-औपचारिक,दिखाऊ
सर्जिकल-चिरफाड़
ऐक्सीडेंटल-दुर्घटनाग्रस्त
मेंटल-पागल
पूर्णतः मौलिक स्वरचित सृजन की अलख
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर,छ.ग.