प्यार का लफ्ज़😊
सुनते हो —
जब से तुमको महसूस किया है
तब से तुम मेरे एक लफ्ज के पन्ने हो,
उसे हमने एक थोड़े से दिल मे सहेज के रखा है
वो पन्ने रखूंगी मै उम्र भर के लिए ।
बस हम न प्रेम जानते है
न मोहब्बत
न ही प्रेम के मायने
बस तुम्हें और महसूस करने का प्रयास करती हूँ बस प्रेम को महसूस ।।
उन लफ्जों में जब हम तुम्हें लिखी रही थी।
तो उस समय मेरे हृदय कि धड़क चल रही थी।।
तुम शांत थे तुम सागर जैसे मैं पयोनिधि जैसी उफ्न रही थी रेत जैसे जल रही थी।। कैसे संभाल पाते तुम मुझे यही सोच रही थी ।। मै बर्ष रही थी उस पन्नों पर और उकेरे जा रहे थे तुम।।
तुम्हें यह भी सोच रही थी कि कहीं तुम भी मेरे साथ बह न जाओ, जल न जाओ मेरे उष्म से ,तुम जो बहते तो मैं कहाँ ठहर पाती ।। बस यही सोच उन्ही गहराइयों मे सहेज कर रख भी रही थी और तुम्हें संजो भी रही थी
बस अपने प्रेम में तुम्हें लिए लफ्ज लिख रही थी ।।
आज का मौसम तो इतना रंगीन है कि बस तुम्हारे बारे मे लफ्ज़ संजोग के सोच रहूँ ।।
(स्वरा कुमारी आर्या)✍️