प्यार का यूँ न दे सिला कोई
एक पत्थर सा है मिला कोई
फिर भी शिकवा न है गिला कोई
आग जैसी जुबान रखता है
फूल जैसा भले खिला कोई
खुद को राजा समझ रहे हो पर
है सलामत कहाँ किला कोई
जिंदगी ही मुहाल हो जाये
प्यार का यूँ न दे सिला कोई
एक भूखा उदास बैठा है
यार रोटी उसे खिला कोई
ज़ाम ‘आकाश’ गर दवाई है
फिर तो जी भर मुझे पिला कोई
– आकाश महेशपुरी
दिनांक-13/03/2022