प्यारी चिट्ठियाँ…
प्यारी चिट्ठियाँ…
लुप्त हो गयी जमाने से
दर्ज हो गयी इतिहास के पन्नों में…
प्यारी चिट्ठियाँ…
चाहे छोटी सी पोस्ट कार्ड हो
या नीली अन्तर्देशी
और या हो चाहे लिफाफा
ढोते थे सबके अंतर्मन की बात…
प्यारी चिट्ठियाँ…
लिखने का था जबरदस्त तरीका
शुरुआत होती “ॐ गणेशाय नमः” से
परमेश्वर की असीम कृपा से यहाँ सब कुशल है
आशा है वहां पर भी सभी कुशल से होगे…
प्यारी चिट्ठियाँ…
रिश्तेदार, घर गाँव की खबर
बच्चों की पढ़ाई और बड़ी हुई फ़ीस का हवाला
खेती का हाल-चाल
फसल को जरुरत आखिरी पानी देने के लिए पैसे की जरुरत…
प्यारी चिट्ठियाँ…
घर में बीमार हो
लेकिन सब कुशल से है
चिंता मत करना
बस आराम से रहना
हाँ याद तुम्हारी सबको है आती
की घर कब तक आ पाओगे…
प्यारी चिट्ठियाँ…
कितना कुछ सिमट जाता था
एक छोटे से कागज के टुकड़े में
रहता सबको उस प्यारी चिठ्ठी का इन्तजार
जिसके शब्दों से आती थी माँ के प्यार का एहसास
पापा की चिंता अपने आप का ठीक ठाक ख्याल रखने का…
प्यारी चिट्ठियाँ…
लिखा कम होता था
समझाता ज्यादा था
दो सौ शब्दों में पुरे गाँव का हाल बता जाता था
सबको संबल देती यह
प्यारी चिट्ठियाँ…
©✍️ शशि धर कुमार