प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ
प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ
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सदा बुलंदी पर लहराये परचम मेरे भारत का
हो नतमस्तक दुनिया सारी
गुण गान करे भारत का
जन गण मन अधिनायक का
जय नाद माँगता हूँ …
मैं प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ …
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई
फूल वतन-उपवन के हैं
मानवता सबसे बढ़कर
यह संस्कार जीवन के हैं
विद्वेष, घृणा ,अपराधों का
मैं नाश माँगता हूँ
प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ ……
रंग भेद की नीति कोई
अब न यहाँ चलने वाली
फूट डाल के राज करो
यह हो गई बहुत पुरानी
नेताओं की ओछी हरकत का
मैं परित्याग माँगता हूँ….
प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ ….
जाग-जाग मेरे हिंदुस्तानी
यह देश नहीं ,भारत माँ है
कुर्बान रही इस माटी पर
यह हर माँ का अरमाँ है
दुश्मन के शोणित से
माँ का श्रृंगार माँगता हूँ …
प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ….
मेरे प्यारे भारत की
एक नई पहचान बने
विश्व गुरु था जो पहले भी
फिर से यह अभिमान बने
ईश्वर ,अल्लाह, वाहे गुरु से
वरदान माँगता हूँ …..
प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ…
एक सूत्र में बँधा हुआ
यह मेरा हिंदुस्तान है
रंग बिरंगे फूलों से जैसे
महक रहा कोई उद्यान है
षड् ऋतुओं के पन्नों से
वसंत बहार माँगता हूँ
प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ……..
यह राम रहीमा की धरती
रक्त रंजित क्यों इसकी छाती
सिसक रही है धरती माता
क्यों बार सुतो से है पाती
फिर से न हो अब रण कोई
मैं शांति विधान माँगता हूँ….
प्यारा हिंदुस्तान माँगता हूँ…..
राघव दुबे ‘रघु’
इटावा (उ०प्र०)
8439401034