प्यारा बचपन
चलो आज हम बचपन की फिर
सबको सैर कराएं।
आज वही फिर खोई मस्ती
का एहसास दिलाएं।
वो माटी वाले वर्तन में
थे पकवान बनाएं।
माटी के ही महल बनाकर
मालिक बन इतराये।
प्ख़्वाबों का प्रतिदिन घरौंदा
मन में सदा बनाएं।
खेल-खेलके मिट्टी से हम
घर को वापस आयें।
भोली सी सूरत ले घर में
डांट मातु की खाएं।
चलो आज………
कभी तितलियों को पाने की
पीछे दौड़ लगाना।
जुगनू पकड़े हाथों में फिर
मुन्नी को डरवाना।
दिन भर करते उछल कूद सो
रात जल्द हम जाते।
बिन कुछ खाये आज सो गया
कहके सभी जगाते।
लोरी गा कर बचपन में माँ
हमको सदा सुलाये।
चलो आज……………
मेरी भी नाव चली कुछ दिन
आज तुम्हें बतलाएं।
लँगड़ी खो-खो खेल पुराना
मन को सदा लुभाये।
गुड्डा गुड़ियों वाले दिन की
याद बहुत हैं आती।
दादी वो राजा रानी के
किस्से सदा सुनाती।
बचपन के बीते दिन हमको
लगते थे मनभाये।
चलो आज………..
सुन मेला की वो बातें हम
अति प्रसन्न हो जाएं।
चार अठन्नी में हम सारा
मेला घर ले आएं।
बचपन था सबसे प्यारा ही
खुशियां था झलकाता।
वो पवित्रता भोलापन ले
फिर से बचपन आता।
बचपन की यादें वो हमको
याद बहुत अब आयें।
चलो आज………….
■अभिनव मिश्र”अदम्य