प्यारा बचपन
काश !मुझे मेरा प्यारा कोई बचपन दे जाए।
बदले में सारी मेरी धन दौलत लेे जाए।
वो बचपन जिसमें पापा के कंधे पे बैठी थी,
बाहों के पलने में निर्भय हो झूली थी।
उंगली थामे जब मां की बेख़ौफ़ ऐठी थी।
बाहों के घेरे की को जेड सुरक्षा थी।
किसकी हिम्मत मुझको बे शौक लेे जाए।
वो बचपन जिसमें न स्वाभिमान की चिंता न फ़िक्र थी गिरने की।
न शिकन थी चेहरे पर कुछ पाने खोने की।
न चाह थी दौलत की न चाह थी सोने की।
बस ठीक समय पर मां की मुझे गोद में दे जाए।
बदले में सारी मेरी धन दौलत लेे जाए।
वो बचपन जिसमें मुझको कोई जोर का चांटा जड़ दे।
अगले ही क्षण वो मुझको एक प्यार से पप्पी दे दे।
उस जड़े तमाचे को भूलकर बस प्यार याद आए।
एक टाफी के बदले कुछ भी कोई लेे जाए।
बदले में सारी मेरी धन दौलत लेे जाए।
न क्रोध ही हावी हो न लोभ छुए मन को।
मुस्कान मधुर हो जिसमें हृदय भी निश्चल हो।
न चिंता हो साहिल की न लहरों से डर हो।
न इच्छा हो जन्नत की न चाह की पर हों।
रेखा फिर से पापा की उंगलीका संबल दे जाए।