पौध लगाएं
कविता
“पौध लगाएं”
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पौध लगाए पौध लगाएं
अपना हम कर्तव्य निभाएं
लालच और स्वार्थ में घिरकर
प्रकृति को कितना है नोचा
क्या होगी इसकी परिणति
कभी बैठ कर इसे न सोचा
आज पौध को रोप-रोपकर
उन घावों पर मलहम लगाएं
पौध लगाए पौध लगाएं
अपना हम कर्तव्य निभाएं ||
इस धरती पर सदियों पहले
किसने यह सब पेड़ लगाए
किसने इतने गड्ढे खोदे
किस ने उन पर तार लगाए
किसने लाकर खाद को डाला
किस मोटर से हुई सिंचाई
सब कुछ अपने हाथ नहीं है
कुछ प्रकृति पर छोड़ो भाई
जितना ज्यादा कर सकते हैं
उतना हम सब फर्ज निभाएं
पौध लगाए पौध लगाएं
अपना हम कर्तव्य निभाएं
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डॉ. रीतेश कुमार खरे
प्रवक्ता- जंतु विज्ञान
राजकीय महाविद्यालय ललितपुर