पोषित करती मां संस्कार
दशानन के पिता ऋषि थे
पर मिला नहीं शिक्षण उदार
आसुरी वृत्तियों से संपन्न
माता थी उनकी बेशुमार.
दारा शिकोह को भाई ने मारा
कितना कलंकित था वो प्यार
शाहजहां को कैद किया था
ऐसा विकृत था परिवार.
वहीं सुमित्रानंदन की मां ने
दी थी सुंदर श्रेष्ठ विचार
श्रीराम का सेवक बनकर
अपनाओ सदगुण आचार.
संघमित्रा और राहुल को पाला
यशोधरा ने देकर आधार
तप त्याग की महिमा सिखाई
बौद्ध धर्म का किया प्रसार.
ब्रह्म वादिनि थी मदालसा
पुत्रों को दी थी ब्रह्म का सार
सिर्फ कर्म स्थल ये जग है
विशुद्ध दिव्य तुम हो अवतार.
पिता हमेशा साधन देता
मां ही देती संपूर्ण आकार
सद आचरण प्रेम सिखाती
देती दंड तो करती दुलार.
सही दिशा उत्कृष्ट गुणों से
पोषित करती मां संस्कार
जैसा सांचा वैसा ही ढांचा
जिस तरह गढता कुंभकार.
भारती दास ✍️