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2 Oct 2020 · 3 min read

पोरबंदर एक अंतरराष्ट्रीय तीर्थ स्थान

द्वारका नागेश्वर भेंट द्वारका के दिनभर भ्रमण के पश्चात रात्रि विश्राम द्वारका में ही था। सुबह बापू के जन्म स्थान पोरबंदर के लिए निकलना था सो मन में बहुत उत्साह था, हो भी क्यों न हम सत्य अहिंसा के पुजारी विश्व प्रसिद्ध महात्मा गांधी जहां पैदा हुए थे, पले बड़े थे, उनका घर, उनका शहर, देखने जा रहे थे और इसको संयोग ही कहें आज उनकी 150 वीं जयंती 2 अक्टूबर 2019 थी।
नाश्ता चाय लेकर निकले थे बस में खिड़की से रास्ते का सौंदर्य निहारते जा रहे थे। समुद्री क्षेत्र होने से जमीन खेती के लिए अनुकूल नजर नहीं आ रही थी। छोटे-छोटे गांव रास्ते में पढ़ते थे, पहनावे में गुजराती संस्कृति साफ झलक रही थी। वहां पशु पालन का व्यवसाय अधिक नजर आ रहा था। खारा पानी मिलता था मीठा पानी पीने के उपयोग में ही लिया जाता था। बस से ढाई 3 घंटे के सफर के बाद हम पोरबंदर में थे। बसों को शहर के बाहर ही रोक दिया गया था। शहर में गांधी जयंती मनाई जा रही थी छोटे टेंपो द्वारा हम महात्मा गांधी के घर के दरवाजे पर खड़े थे, जो अब एक स्मारक के रूप में विश्व भर के पर्यटकों एवं गांधी वादियों के लिए तीर्थ स्थान है। टेंपो बाले को किराए के पैसे दिए, उसे कुछ पैसे लौटाने थे, उसके पास खुल्ले पैसे नही थे, मैंने कहा ठीक है कोई बात नहीं, आप रख लीजिए। टेंपो चालक ने कहा बाबूजी माफ करें,आप गांधी जी के नगर में खड़े हैं, मैं ऐसा नहीं कर सकता, आप दो मिनट रुक जाओ, मैं आपको खुल्ले कर आपको बाकी देता हूं, मैं अबाक था।
तीन मंजिला घर और अलग से कुछ गैलरी प़ागण का निर्माण हो गया है। बापू के बचपन से लेकर महात्मा बनने तक के सफर की उपलब्धि छायाचित्र से बापू का जीवन वृत्त संजोया गया है।
एक कमरे पर लिखा था बापू का जन्म इसी कमरे में हुआ था। श्रद्धा से सिर झुक गया, मैं सोचने लगा विश्व को प्रकाश देने वाले सूरज ने, सुदूर देश के पश्चिम में जन्म लिया था।एक दिव्य अनुभूति हो रही थी। दर्शनार्थी जीवन व्रत के चित्रों को देख रहे थे, पढ़ रहे थे आश्चर्यचकित पूरा घर घूम घूम कर फोटो खिंचा रहे थे।
प्रांगण में टेंट लगा था गुजरात के मंत्री स्थानीय नेता सेवा में रहने वाले उनके अनुयाई जो भी देश विदेश से आए थे भाषण संवाद चल रहे थे। कवि साहित्यकार भी जुटे थे मैं भी कवियों से परिचय कर उनके साथ बैठ गया। कुछ कवियों को सुनने के बाद मुझे रचना पढ़ने का मौका मिला। मैंने अपनी रचना बापू के संजय बापू के घर में सुनाई, अच्छा प्रतिसाद मिला प्रबंध समिति द्वारा गांधी दर्शन की एक प्रति एवं वहीं पर काते हुए सूत की एक माला भेंट स्वरूप प्रदान की गई, मैं अभिभूत था, सोच रहा था यह सब बापू का किया धरा है, जैसे बापू कह रहे हो आओ कविराज, तुम भी अपनी रचना सुनाओ, बहुत दूर से आए हो। अन्यथा बिना किसी जान पहचान के बापू के घर में रचना पाठ करने हेतु मेरा नंबर कैंसे आता? सचमुच अलग ही अनुभव हो रहा था। ऐंसा लगा जैसे जीवन का सर्बश्रेष्ठ पुरुष्कार मिल गया हो।
बापू के घर के पीछे ही, बा (श्रीमती कस्तूरबा गांधी) का मकान है, वह मकान भी संरक्षित है। इसके बाद समुद्र के किनारे उस स्थान पर भी गए जहां बापू शांति से अक्सर बैठा करते थे, अपने गुरु से मिलते थे। वहां सुदामा मंदिर के भी दर्शन किए, सचमुच विश्व प्रसिद्ध ऐसे महान संत की जन्मस्थली पोरबंदर के दर्शन से मैं गौरवान्वित और धन्य हो गया। समय की मर्यादा को ध्यान रखते हुए हम सभी तीर्थयात्री वापिस द्वारका आने के लिए बस में बैठ चुके थे, लेकिन मन पोरबंदर में ही बापू के ऐतिहासिक कार्य के विषय में सोचता रहा।
सचमुच पोरबंदर गांधीजी के अनुयायियों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय तीर्थ स्थान है।

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
Tag: लेख
4 Likes · 2 Comments · 386 Views
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